प्रकाश प्रदूषण: कारण व दुष्प्रभाव: क्या आपको पता है कि जिस प्रकार प्रवासी पक्षी तारों और प्राकृतिक रात की रोशनी को ट्रैक करके नेविगेट करती है और यह कृत्रिम रौशनी को भ्रमित कर देती यही। उसके बिलकुल विपरीत जो कृत्रिम रोशनी (artificial light) मनुष्यों के लिए आवश्यक तो है किन्तु हानिकारक भी है।

वायुमंडल में उपस्थित प्रदूषण के स्रोतों में प्रकाश प्रदूषण (light pollution) को सबसे सूक्ष्म रूप में देखा गया है, और यह सबसे अपर्याप्त चर्चा में से एक है। कुछ अध्ययनों द्वारा तात्कालिक वर्ष में प्रकाश प्रदूषण में वृद्धि को देखा गया है जो कि सभी जीवित प्राणियों पर इसके प्रतिकूल प्रभाव की और संकेत करता है।

प्रकाश प्रदूषण बन रहा है परेशानी का विषय:

प्रकाश प्रदूषण के बढ़ने का कारण कृत्रिम प्रकाश की उपस्थिति में बढ़ोत्तरी होना और प्राकृतिक प्रकाश में कमी आना है धीरे-धीरे प्राकृतिक प्रकाश मंद हो रहा है, एक नए अध्ययन में पता चला है की पहले की अपेक्षा अब आकाश में तारों की संख्या में कमी आ गयी है।

अध्ययन में यह पाया गया कि 2011 और 2022 के बीच हर वर्ष रात के आकाश की चमक में करीब 10 प्रतिशत का बढ़ावा हुआ है, और यह शहर और उनक निकटवर्ती स्थानों में अधिक देखने को मिलता है ऐसा इसीलिए है की शहर वाले ग्रामीणों की अपेक्षा अधिक रौशनी में रहते हैं।

जीवधारियों के लिए विनाशकारी है प्रकाश प्रदूषण:

प्रकाश के pattern में बदलाव होना भी एक पर्यावरणीय मुद्दा है जिसका प्रतिकूल प्रभाव मनुष्यों, कीड़ों, जानवरों और पौधों सहित सभी जीवधारियों के स्वास्थ्य पर पड़ता है। रात के प्रश् में अधिकता आने से समस्त प्राकृतिक जीवन लगभग अस्त व्यस्त है।

प्रकाश में हो रही वृद्धि का सबसे ज्यादा असर पक्षी, जानवर और कीड़े में पड़ रहा है ये सभी जीव-जंतु रात्रि के समय में सक्रिय रहते हैं अपने भोजन, दैनिक गतिविधि और प्रजनन जैसे अन्य कई कार्य हेतु, और प्रकाश प्रदूषण इनके व्यवहार को परिवर्तित कर देता है।

कृत्रिम प्रकाश कई जीवों को भ्रमित और मृत कर देता है :

एक स्थान से दूसरा स्थान बदलने वाला प्रवासी पक्षी तारों और प्राकृतिक रात की रोशनी को ट्रैक करके नेविगेट करते हैं और कृत्रिम रौशनी की उपस्थिति में वह सभी भ्रमित हो जाते हैं। कृत्रिम रौशनी के कारण वह अपनी दिशा खो देते हैं और मरने के लिए मजबूर हो जाते हैं।

उदाहरण के तौर पर Newyork City में न्यूनतम 100,000 प्रवासी पक्षी रात्रि के समय चमकदार बड़ी-बड़ी इमारतों से टकराकर मर जाते हैं। साथ ही शहरी प्रकाश कई कीड़ों के प्रजनन को प्रभावित करता है, जैसे कि जुगनू

लुप्त हो सकती हैं कीड़ों और पक्षियों की प्रजातियां:

इस प्रकाश प्रदूषण के चलते अब यह चिंता सामने आयी है की मुंबई में दिखने वाले Carpenter Bee अब जल्द ही लुप्त होने की कगार में हैं। कुछ शोधकर्ताओं का मानना है कि प्रकाश प्रदूषण के चलते मधुमक्खियां और निशाचर कीड़े गायब हो सकते हैं, और इसका परिणाम पूरा पारिस्थितिकी तंत्र ध्वस्त कर सकता है।

खेती पर भी हो रहा है कृत्रिम रोशनी का प्रभाव:

खेती पर कई तरह से कृत्रिम रोशनी का प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है इसके संपर्क में आने से मानव शरीर की घड़ी भी हो सकती है प्रभावित। यह समय है प्रकाश प्रदूषण के विरुद्ध जाने का।

कैसे रोका जाए प्रकाश प्रदूषण:

  • रात में कम से कम कृत्रिम रोशनी की जाए।
  • बाहर की रोशनी नीचे की तरफ लगाई जाए न कि ऊपर की तरफ।
  • प्रकाश की मात्रा को विनियमित किया जाना चाहिए।
  • जब रोशनी की आवश्यकता न हो तो उन्हें बंद कर देना चाहिए।
  • लंबी तरंगदैर्घ्य वाली रोशनी जैसे कि पीली या लाल का उपयोग चाहिए।
  • बढ़ते शहरीकरण को भी काम करने की आवश्यकता है।

कई देश और शहर कर रहे हैं रोकथाम:

प्रकाश प्रदूषण में हो रही वृद्धि को देखकर कुछ शहरों और देशों ने इसकी रोकथाम शुरू कर दी है, जिसमे 2021 में, अमेरिका में पिट्सबर्ग ने रात की रोशनी को नियंत्रित करने का निर्णय किया। ऑस्ट्रेलिया में ऐसे दिशानिर्देश लागू किये हैं जो प्राकृतिक अंधकार को प्रोत्साहित करते हैं।

आपके लिए इमारतों आदि को रंगने की सिफारिशें हैं, रात्रि प्रकाश में कमी से ऊर्जा और आर्थिक लाभ भी हो सकता है। भारत में इस पर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए।

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